प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर श्वेत पत्र जारी करे शिवराज सरकार - कमलेश्वर पटेल
प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर श्वेत पत्र जारी करे शिवराज सरकार - कमलेश्वर पटेल
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कोविड-19 के प्रबंधन और रोकथाम में घोर लापरवाही बरतने के कारण निर्दोष नागरिकों की असमय हुई मौत के आंकडों को छुपाकर शिवराज सरकार आखिर कब तक रखेगी? अब सरकार को ईमानदारी से श्वेत पत्र जारी कर यह भी बताना होगा कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति क्या है? यह जानना नागरिकों का हक है कि कितना पैसा सरकार के पास है और कितना केन्द्र सरकार से मिल रहा है।
विधायक एवं पूर्व मंत्री श्री कमलेश्वर पटेल ने आज यहां एक बयान जारी कर कहा कि प्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति बहुत गंभीर हो चुकी है। युवाओं की रोजगार की स्थिति का प्रश्न तो दूर जरूरतमंदों को मनरेगा से भी मजदूरी नहीं मिल पा रही है। मध्यप्रदेश को छोड़कर सभी राज्यों में मनरेगा की मजदूरी बढाने पर विचार कर रहे हैं लेकिन शिवराज सिंह सरकार असंवेदनशील बनी हुई है।
उन्होनें कहा कि प्रधानमंत्री ने तो मनरेगा को सबसे बुरी योजना कहा था लेकिन अब भाजपा शासित राज्यों में यही मनरेगा अर्थव्यवस्था को सम्हालने में संजीवनी साबित हुई। इससे जाहिर होता है कि मध्यप्रदेश और केन्द्र सहित भाजपा की राज्य सरकारों के पास सांप्रदायिकता द फैलाने के अलावा कोई आर्थिक सोच नहीं है। यदि होती तो मध्यप्रदेश के नागरिकों को आत्मनिर्भरता का सपना नही दिखाते हुए अपनी कार्ययोजनाओं को सामने लाते।
विज्ञापन-जीवी बन गई सरकार
श्री पटेल ने कहा कि प्रदेश का युवा वर्ग अपने भविष्य को लेकर घोर निराशा में है। राज्य सरकार सिर्फ नये-नये जुमले बनाने में अपना समय खराब कर रही है। अर्थव्यवस्था को सम्हालने में काम आने वाले पैसों को बैनर हार्डिंग विज्ञापन छपवाने में खर्च कर रही है। सरकार पूरी तरह विज्ञापन-जीवी बन गई है।
श्री पटेल ने कहा कि अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र की हालत बेहद खराब है और निकट भविष्य में इसके सुधरने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
उन्होने कहा कि मध्यप्रदेश में आर्थिक निवेश के जितने दावे किये गये थे आज उनका कोई पता नहीं है। सारी ऊर्जा सरकार गिराने और विधायकों की खरीदी करने में चली गई।
श्री पटेल ने कहा कि जिस खेती के कारण मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था चलती है उसकी स्थिति खराब कर दी है। किसानों को बीज व खाद तक नहीं मिल पा रहा है। किसान अपनी पसंद की फसल नहीं ले पा रहे हैं। सोयाबीन का बीज मांगने वाले किसानों पर लाठियां बरसाने को तैयार है।
जब सरकार कोविड-19 से असमय विदा हो गये सरकारी कर्मचारियों के बेटे-बेटियों को अनुकंपा नियुक्ति तक नहीं दे पा रही है तो युवाओं के लिये रोजगार खोलने की बात सपने जैसी है। उन्होने कहा कि शिवराज सिंह सरकार ने आज तक यह बात नागरिकों को नहीं बताई कि प्रदेश में बेराजगार युवाओं की संख्या कितनी है ? कितनों को रोजगार मिल पायेगा और कितनों को स्वरोजगार ?
उन्होने कहा कि कोविड-19 से मरने वालों की संख्या शायद हमेशा के लिये रहस्य बन जायेगी । यह सरकार की घोर अक्षमता है कि उसे अपने नागरिकों का ही हिसाब नहीं मालूम कि कितने लोगों को अभागे परिवारों ने खो दिया और कितने अभी जीवन के लिये संघर्ष कर रहे हैं ।
उन्होने कहा कि मध्यप्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य है जहां टीकाकरण का रिकार्ड के लिये आंकडों का प्रबंधन तो किया गया लेकिन कोविड से हुई मौतों की कोई जानकारी नहीं है।
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