मलाचुआ विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य की अतिथि शिक्षकों की भर्ती में मनमानी
मलाचुआ विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य की अतिथि शिक्षकों की भर्ती में मनमानी
१-आदिवासी समाज की अपील- कलेक्टर करे मलाचुआ हायरसेकण्ड्री स्कूल का दौरा
२-शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मालाचुआ के प्रभारी प्राचार्य तरुणेश झा के विरुद्ध व्यापक स्तर पर लापरवाही व मनमानी की शिकायत-------
उमरिया जिले के पाली ब्लाक के अंतर्गत शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मालाचुआ के प्रभारी प्राचार्य तरुणेश झा द्वारा व्यापक स्तर पर लापरवाही व मनमानी की जा रही है,वहीँ शासन की नीतियों व आदेशों की अवहेलना का स्पष्ट उदाहरण मालाचुआ का हायर सेकेंडरी स्कूल है |
१-अतिथि शिक्षकों की भर्ती में मनमानी - यह कि लोक शिक्षण भोपाल के आदेशानुसार सभी विद्यालयों में गत वर्ष में पढाये हुए शिक्षकों को रखे जाने का स्पष्ट प्रावधान है और यदि किन्ही कारणों से गत वर्ष में कार्यरत शिक्षक कार्य नहीं करते तो उनकी सहमति लिखित रूप से लिया जाना आवश्यक है | शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मालाचुआ के प्रभारी प्राचार्य तरुणेश झा ने मनमानी तरीके से अपने परिचितों को ही अतिथि शिक्षक बना दिया | इतना ही नहीं अतिथि शिक्षको की सैलरी भी जबरन काट ली गई|
२-गत वर्ष के शिक्षक डायरी भी नहीं बनवाई गई--मालाचुआ के इस विद्यालय का इतिहास रहा है कि कभी भी संस्था के प्रभारी श्री तरुणेश झा ने टीचर्स डायरी नहीं बनाई और न ही किसी टीचर्स को बनाने कहा |पूरे तीन सालो में कोई भी टीचर्स ने क्लास नहीं लिया जबकि तरुणेश 4-5 दिनों में ही स्कूल आते है |इसी संबंध में विद्यालय के स्टूडेंट्स व अतिथि शिक्षको से जानकारी ली जा सकती है |मालाचुआ के इस शासकीय विद्यालय में प्रभारी प्राचार्य तरुणेश झा वर्ग १ के इंग्लिश के टीचर के साथ ही प्रभारी भी है इन्होने आज तक कभी भी किसी भी क्लास में इंग्लिश नहीं पढाई वही,वही आदिवासी समाज के बच्चे इंग्लिश में बहुत कमजोर हो चुके है |
3-बच्चियाँ व महिलाएं असुरक्षित-मानवता हुई शर्मसार- यह कि प्राचार्य द्वारा छात्राओ व महिला अतिथियों को अश्लील कमेंट्स करके दी जा रही मानसिक प्रताड़ना से व गतिविधियों से गाँव के लोग भी परिचित है व गत माह प्राचार्य द्वारा ऐसे अमानवीय कृत्यों से अत्यंत दुखी है |आदिवासी समाज बेहद गरीब है व प्राचार्य द्वारा मनमानी करके लगातार परेशान किया जा रहा है| आज तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है जबकि संस्था के प्रभारी के विरुद्ध कार्यवाही नही किये जाने से व मनमानी किये जाने से ‘’जवाबदेयता के प्रति उदासीनता’’ प्रदर्शित होती है,जो कि घोर लापरवाही का सूचक है ,जिससे मध्यप्रदेश की शिक्षण व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो चुका है व प्रशासन की छविधूमिल हुई है | प्रभारी का ऐसा कृत्य मध्यप्रदेश सिविल सेवा संहिता [वर्गीकरण व नियंत्रण] की सेवा व शर्तो के विपरीत है |आखिर सहायक आयुक्त उमरिया ने अब तक विद्यालय का निरीक्षण क्यों नहीं किया ????
4-एक परिसर एक शाला के आदेश का स्पष्ट उलंघन—विद्यालय के नाम का बोर्ड ही नहीं--प्राचार्य द्वारा व्यापक स्तर पर ,मनमानी, लापरवाही व फर्जी बिल लगाकर शासकीय राशि का गमन किया गया है,और शाला के शिक्षक ,कर्मचारी व अधीक्षक प्राचार्य के नियंत्रण में नही है |यह कृत्य प्राचार्य के कार्य,उत्तरदायित्व व जबाबदारी के प्रति उदासीनता एवं गंभीर लापरवाही को दर्शाता है और कदाचरण व अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है| आखिर ऐसी लचर व्यवस्था क्यों ? कलेक्टर महोदय जी जबाब दीजिये? विद्यालय की लचर, बदहाल व्यवस्था सुधारने शत प्रतिशत परीक्षा परिणाम के लिए कार्य योजना बनाने व मोनिटरिंग हेतु कलेक्टर स्वयं या एस.डी.ऍम. को बेहतर प्रशासनिक कार्य प्रणाली हेतु अतिरिक्त प्रशासनिक जिम्मेदारी दी जाए |आपके द्वारा त्वरित कार्यवाही पर आदिवासी सामाज के गरीब बच्चो का भविष्य उज्जवल व बेहतर बन सकेगा |लोक शिक्षण के आदेश दिनांक 14 सितम्बर २०२१ के तहत राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे के तहत क्लास 10 में सभी विषयो के टेस्ट भी अब तक नहीं लिए गए आखिर क्यों ? अतः जांच की जाए |
5-कलेक्टर ने पिछले साल से अब तक नही लिया कोई एक्शन-विद्यालय में अतिथि शिक्षको की भर्त्ती में व्यापक पैमाने पर नियम विरुद्ध मेरिट लिस्ट में रिश्वत लेकर हेरफेर किये है |प्राचार्य ने विषय शिक्षको की समीक्षा बैठक कभी ली ही नही और बच्चो से विषय का कोई फीड बैक नही लिया |एम् पी पाठ्यक्रम का यह विद्यालय अब प्राचार्य की मनमानी का शिकार हो चुका है ,आदिवासी सामाज के बच्चो का भविष्य ख़राब हो चुका है| आखिर कौन है जिम्मेदार इन शोषित बच्चो का ??विद्यालय के प्राचार्य द्वारा जहाँ एक और नित्य नए भ्रस्टाचार के कारनामे उजागर हो रहे है वही दूसरी और प्रशासनिक स्तर पर भी मनमानी की जा रही है | ऐसा कृत्य वरिष्ठ कार्यालयों व शासन के आदेशो की अवहेलना है जो कदाचरण की श्रेणी में आता है |
ऐसी स्थिति में आदिवासी समाज के बच्चो का विकास कैसे संभव है ??? और विद्यालय की अव्यवस्था पर कौन जिम्मेदार है ? कलेक्टर, प्राचार्य, या सहायक आयुक्त? टेबल में पैर रखकर बैठने वाले प्रभारी तरुनेश झा की मनमर्जी का शिकार यह विद्यालय अब बच्चियों के लिए खतरा बन चुका है |
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