सोहागी पहाड़ NH30 हाईवे दुर्घटना का कारण अमानक डिज़ाइन ज्योमेट्री घटिया गुणवत्ता
सोहागी पहाड़ NH30 हाईवे दुर्घटना का कारण अमानक डिज़ाइन ज्योमेट्री घटिया गुणवत्ता -सोहागी सड़क की स्थिति के भौतिक सत्यापन में सच्चाई आयी सामने // जिग जैग ऊपर नीचे लहरनुमा सड़क, अमानक स्तर का निर्माण, सेफ्टी फीचर का अभाव और व्यापकप्रशासनिक भ्रष्टाचार इसका मुख्य जिम्मेदार // कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर जिम्मेदारों पर FIR ही एकमात्र समाधान//*
दिनांक 25 अक्टूबर 2022 रीवा मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 30 सोहागी पहाड़ के पास 21 अक्टूबर 2022 की दरमियानी रात को हुए भीषण हादसे में दर्जनों लोगों की मौत और दर्जनों के घायल होने के बाद सड़क निर्माण घटिया गुणवत्ता सड़क डिजाइन और ज्योमेट्री के मापदंडों का खरा न उतरना एक बार फिर चर्चा का विषय बना हुआ है।
*घटिया गुणवत्ता सड़क डिजाइन और जोमैट्री मानकों में मनमानी निरंतर सड़क दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण - शिवानंद द्विवेदी*
दिनांक 24 अक्टूबर 2022 दीपावली के दिन वारदात स्थल सोहागी पहाड़ घटनास्थल पर कारण जानने के लिए पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने बताया की रीवा मध्य प्रदेश से गुजरने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 30 जो मनगवां से चाकघाट वाया सोहागी पहाड़ से होकर गुजरती है उसे बेहद घटिया गुणवत्ता में बनाया जाकर इंजीनियरों और जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा पास कर दिया गया जिसमें सड़क की डिजाइन, उतार-चढ़ाव, इंक्लिनेशन, ज्योमेट्री मानकों और सबसे प्रमुख सही मानक डिजाइन का अभाव है जिसके कारण डेथ स्पॉट बन चुके सोहागी पहाड़ में आए दिन भीषण सड़क हादसे होते रहते हैं। मौके पर पहुंचे शिवानंद द्विवेदी ने घटनास्थल से एक किलोमीटर आगे और पीछे रोड का जायजा लिया और देखा गया कि रोड में खेत जैसी नालियां बन गई हैं जिसके फोटो और वीडियो भी सबूत के तौर पर इकट्ठा किए गए और रोड दब गई है जिसकी वजह से यदि कोई वाहन विशेषतौर पर बाइक सवार उस नाली में घुस जाता है तो तेज रफ्तार में अपनी बाइक अथवा दो पहिए वाहन को नाली से बाहर तब तक नहीं निकाल पाएगा जब तक स्पीड को एकदम धीमा न किया जाए। ऐसे में स्वाभाविक है आगे और पीछे से आने वाले चार पहिया वाहन दो पहिया वाहन को आसानी से ठोकर मार देते हैं।
इसी प्रकार चार पहिया वाहन भी इन नालियों के बीच में फंस जाते हैं तो स्पीड में आसानी से इधर-उधर नहीं मुड़ पाते और अपना कंट्रोल खोते हुए या की घाटियों से टकरा जाते हैं अथवा सामने और पीछे से आने वाले वाहन से ठोकर खाते हैं। अब चूंकि सड़क डिजाइन और ज्योमेट्री में एनएचएआई मानक मापदंडों का पालन नहीं किया गया है इसलिए घाटी की सड़क पर कितना उतार-चढ़ाव और मोड़ पर कितनी जगह छोड़ी जानी थी यह न तो निर्माण कंपनी और न ही भारत के इंजीनियरों ने उस मानक का पालन किया। अमूमन देखा गया है कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के द्वारा नेशनल हाईवे सड़कों को बनाने के लिए एक निश्चित डिजाइन ज्योमेट्री मानक उतार चढ़ाव और संकेतकों का नियम बनाया गया है। लेकिन अक्सर निर्माण कंपनी मनमानी करते हुए सड़क निर्माण में व्यापक स्तर का भ्रष्टाचार कर सरकारी इंजीनियरों और मुलाजिमों के साथ मिलकर मनमाने सड़क निर्माण कर देते हैं जिसका परिणाम यह होता है कि सड़कें उखड़ जाती हैं दब जाती है टूट जाती हैं और आए दिन भीषण सड़क हादसे होते रहते हैं।
*दीवाली में सड़क पीड़ितों को मिठाई बांटना पर्याप्त नहीं, दोषियों पर होनी चाहिए कार्यवाही*
आज जब इस भीषण सड़क हादसे पर स्पेशल टास्क फोर्स के द्वारा जांच की जानी चाहिए और दोषियों के ऊपर तत्काल एफ आई आर दर्ज किया जाकर कार्यवाही की जानी चाहिए ऐसे में भारत जैसे देश में प्रशासनिक अधिकारी अगले दिन दीपावली मनाने में व्यस्त हो गए और दिवंगत आत्माओं की शांति प्रार्थना के साथ पीड़ित घायलों को मिठाई बांटकर अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं। चाहे वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ या मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान या फिर केंद्रीय ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी सभी ने शोक संवेदना व्यक्त की, घायलों और मृतकों को राशि आवंटन की घोषणा कर दी और अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया। वास्तविक तौर पर देखा जाए तो ऐसे हादसों में तत्काल उच्च स्तरीय तकनीकी और प्रशासनिक कमेटी गठित करते हुए 24 घंटे के अंदर जांच किया जा कर दोषियों पर कार्यवाही की जानी चाहिए जिसके बाद ही इस प्रकार के भीषण हादसों पर लगाम लग सकता है।
*आरटीओ और जिला प्रशासन पर कार्यवाही क्यों नहीं*
इस पूरे मामले में अगला बड़ा सवाल यह है कि जब उसी बस को दुर्घटना के अगले दिन फिटनेस में फेल करार देकर कार्यवाही की गई तो इसके पहले आरटीओ के द्वारा पूरे रास्ते में आने वाले कई चेक पोस्ट पर इस बस का फिटनेस डॉक्यूमेंट और ओवरलोड जैसी बातों पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया? जिला प्रशासन निरंतर अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन में असफल रहा है फिर जिला प्रशासन पर कार्यवाही क्यों नहीं? आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं और इसी प्रकार औपचारिक खानापूर्ति के बाद बात आई गई हो जाती है ऐसे में जाहिर है कि देश में किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती।
*आईपीसी की धारा 304ए पर सजा का प्रावधान बहुत कम*
गौरतलब है कि गैर इरादतन हत्या के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 304ए कई ऐसे मामलों में लगा दी जाती है जहां इस प्रकार की सड़क दुर्घटनाएं होती हैं लेकिन जहां सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं भारत सरकार को निर्देशित किया था कि धारा 304ए में सजा के प्रावधान कम है और इसे अमेंडमेंट किया जाए तो वहीं भारत सरकार और भारतीय संसद ने इस बात पर आज तक गौर करना उचित नहीं समझा जिसकी वजह से सजा के बहुत कम प्रावधान के कारण और मात्र अधिकतम एक लाख रुपये के जुर्माने के चलते दोषी आसानी से बच जाते हैं और बाहर निकल आते हैं।
*बड़ा सवाल क्या किसी सीएम मंत्री या सांसद के परिजन सड़क हादसे में मरते तो वह चुप बैठते?*
आम आदमी की जिंदगी कितनी सस्ती है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भीषण सड़क हादसे होते रहते हैं लेकिन उसके बाद भी सरकारें मात्र शोक संवेदना व्यक्त कर और कुछ मुआबजे की राशि देकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेती हैं। लेकिन गौर करिए यदि किसी सीएम मंत्री अथवा सांसद या किसी बड़े सक्षम जनप्रतिनिधि के परिजन इस प्रकार सड़क हादसों में काल के कपाल में समा गए होते तो क्या यह सीएम मंत्री मिनिस्टर चुप बैठते? पता चलता कि अब तक तो इन्होंने पूरी दुनिया को अपने सिर पर उठा लिया होता और पता नहीं कितने अधिकारियों पर तत्काल गाज गिर जाती लेकिन कितना दुर्भाग्य है कि आज सड़क हादसों में आम व्यक्ति अपनी जान गवा देता है और बातें शोक संवेदना और कुछ मुआवजा राशि वितरण तक ही सिमट कर रह जाती है।
*सोहागी पहाड़ के आसपास के पुजारियों और दुकानदारों ने देखिए ऐसे सड़क हादसों को लेकर क्या कहा*
दिनाँक 24 अक्टूबर 2022 को मौके वारदात पर पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने जब सोहागी पहाड़ी स्थित अड़गड़नाथ शिव मंदिर में पुजारियों और आसपास के दुकानदारों से चर्चा की तो दुकानदार सतीश मिश्रा, लक्ष्मण पुजारी, पुजारी रविशंकर गोस्वामी, दुकानदार विद्यावती और श्रीनिवास आदि द्वारा बताया गया कि टोल प्लाजा और चेक पोस्ट से लेकर नीचे सोहागी थाने के बीच में आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। विशेष तौर पर सोहागी पहाड़ एक डेथ वैली बन चुकी है जिसमें उनकी जानकारी में अब तक कई सैकड़ों लोगों की जाने जा चुकी हैं और आए दिन यही कहानी हैं। शिव मंदिर अड़गड़नाथ के एक युवा पुजारी रवि शंकर गोस्वामी ने तो यहां तक बताया कि वर्ष 2020 में उनके माता-पिता बाइक से जा रहे थे जिसमें दुर्घटना में उसी स्थल पर उनकी मौत हो गई लेकिन न तो सरकार से उनको कोई सहायता मिली और न ही सड़क की स्थितियों में कोई सुधार हुआ है।
एक बात जो सामने आई उसमें इन सभी के द्वारा बताया गया कि जब आए दिन सोहागी पहाड़ में दुर्घटनाएं हो रही हैं तो सरकार यहां पर पर्याप्त लाइटिंग की व्यवस्था क्यों नहीं कर रही है? साथ ही टोल प्लाजा चेकपोस्ट आरटीओ और पुलिस भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं जिसकी वजह से ओवरलोड वाहनों को पैसे की लेनदेन कर पास कर दिया जाता है और आरटीओ के द्वारा भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता वहीं घटिया सड़क की गुणवत्ता को लेकर भी सभी ने प्रश्न खड़ा किए।
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