पार्किंसन मरीज का मनोबल बढ़ाएं, विश्व पार्किंसन दिवस आज

By mnnews24x7.com Wed, Apr 10th 2024 मिसिरगवां समाचार     

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पार्किंसन मरीज का मनोबल बढ़ाएं, विश्व पार्किंसन दिवस आज
पार्किंसन मरीज का मनोबल बढ़ाएं, विश्व पार्किंसन दिवस आज
पार्किंसन मरीज का मनोबल बढ़ाएं,
विश्व पार्किंसन दिवस आज
रीवा, MN न्यूज़। पार्किंसन डिसीज भारत सहित विश्व के समस्त देशों में पाई जाती है। यह बीमारी मनुष्य के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र यानी मस्तिष्क व स्पाइनल कॉर्ड की समस्या है। जिसमें तंत्रिका कोशिकाओं के नष्ट होने के कारण रसायन डोपामिन की कमी हो जाती है। जिससे मनुष्य की चाल धीमी होने के साथ शरीर में अकड़पन व हाथ, पैर, तथा जबड़ा, में कंपन हो सकते हैं। इस बीमारी का पूर्ण रूपेण निदान संभव नहीं है किंतु कुशल चिकित्सक की देखरेख में रोगी आंशिक स्वस्थ रह सकता हैं । यह बीमारी कुछ वर्षों तक या जीवन पर्यंत रह सकती है। दुनिया में पहली बार एक अंग्रेज चिकित्सक जेम्स पार्किंसन नें इस बीमारी को खोजा, जिनके जन्म दिवस 11 अप्रैल को प्रतिवर्ष पार्किंसन दिवस के रूप में मनाया जाता हैं । जिसका उद्देश्य हैं- इस बीमारी के बारे में समाज में प्रचार-प्रसार , होने वाली बीमारी की जटिलता पर चर्चा, परिवार व समाज में मरीज के जीवन स्तर में सुधार हेतु प्रयास करना। मानव की तंत्रिका तंत्र के प्रभावित होने वाली प्रमुख बीमारी अल्जाइमर बीमारी के बाद दूसरी समस्या पार्किंसन बीमारी हैं। यह पुरुषों में महिलाओं की तुलना में ज्यादा होती हैं । दुनिया में एक करोड़ से ज्यादा मरीज हैं जबकि भारत में 10 लाख से ज्यादा पीड़ित हैं। 21 वीं सदी में विश्व स्तर पर बेहतर जीवन स्तर व पर्याप्त खाद्यान्न तथा इलाज उपचार सुविधा होने के कारण मनुष्य की औसत आयु बढ़ी है। जिससे पार्किंसन बीमारी भी बढ़ रही है। दुनिया के कुल मरीज के 50% रोगी अकेले चीन में हैं।
बाक्स: वंशानुगत होती है बीमारी

यह बीमारी एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में छुआछूत के कारण नहीं होती। बल्कि 10 से 15% प्रकरण में वंशानुगत होती है। इसके साथ ही इस बीमारी के होने के कई पर्यावरणीय कारक होते हैं। इस बीमारी को पैथोलॉजिकल जांच से पता नहीं लगाया जा सकता। बल्कि कुशल चिकित्सकों द्वारा बीमारी के लक्षणों से पता चल पाती है। पार्किंसन बीमारी के प्रमुख लक्षणों में लिखावट में बदलाव, सुगंध महसूस ना होना, थकावट, अनिद्रा, आवाज में भारीपन, चक्कर आना। , सर दर्द, चलने में परेशानी, मानसिक अवसाद होना, हाथ पैर में अकड़नपन होना, तथा कमर से झुक जाना, आदि समस्याएं हो सकती हैं। इस बीमारी में हर मरीज में अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं। कुछ मरीजों में गले में या कमर के निचले भाग में दर्द हो सकता है। साथ ही याददाश्त भी कम हो सकती है। ज्यादातर यह समस्या 50 वर्ष की उम्र के बाद होती है किंतु 30 वर्ष की आयु के युवा भी पीड़ित हो सकते हैं। इस बीमारी से विश्व की कई जानी-मानी हस्तियां भी पीड़ित हो चुकी हैं जिनमें बाक्सर मोहम्मद अली,व गायक जानी कैश के सहित सैकड़ो शामिल हैं। इस बीमारी से जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। ज्यादातर मनुष्य अपना पूरा जीवन जीता है या कभी-कभी निमोनिया या अन्य संक्रमण के कारण समय से पूर्व मौत हो जाती है।

बाक्स: बीमारी को कहा जाता है चोर किसी ने इस बीमारी को चोर कहा है जो मनुष्य के शरीर, मस्तिष्क व आत्मा को चुरा लेता है। किंतु हम अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से पार्किंसन बीमारी को हरा सकते हैं। पूर्व क्षेत्रीय संचालक एवं चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ बी एल मिश्रा ने बताया कि पार्किंसन बीमारी का प्रबंधन टीम भावना से होना चाहिए। जिसमें स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ, परिवार के लोग, समाज सेवी संगठन व जनप्रतिनिधि शामिल हो। भारत शासन व राज्य शासन को भी इस दिल को दहला देने वाली बीमारी के प्रबंधन हेतु हर मरीज को उचित पेंशन, दिव्यांग श्रेणी में शामिल करना, निशुल्क चिकित्सा व आवास, आदि पर चिंतन करना। पीड़ित व्यक्ति के परिवार जनों को उचित स्वास्थ्य, शिक्षा, संतुलित आहार, जिसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में हो सेवन करना चाहिए। प्रातः कालीन व्यायाम करना चाहिए व नियमित रूप से माह में एक से दो बार कुशल चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। और चिकित्सक के द्वारा बताए गए परामर्श व दवा का नियमित सेवन करना चाहिए। पीड़ित व्यक्ति को पर्याप्त 6 से 8 घंटे की नींद, योग फिजियोथैरेपी,व नियमित कसरत, स्पीच थेरेपी, के साथ ही युवकों को उनके स्वास्थ्य के अनुसार रोजगार की व्यवस्था करने पर चिंतन की आवश्यकता है। आइए हम सब पीड़ित मानवता की सेवा में अपना बहुमूल्य योगदान दे।

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