बिना रेट लिस्ट, प्रिंट रेट से ज्यादा दाम पर बिक रही शराब, जिम्मेदार विभाग मौन

By mnnews24x7.com Fri, Jun 13th 2025 मिसिरगवां समाचार     

बिना रेट लिस्ट, प्रिंट रेट से ज्यादा दाम पर बिक रही शराब, जिम्मेदार विभाग मौन

मऊगंज जिले सहित मऊगंज कस्बे में संचालित शासकीय शराब दुकानों पर आबकारी नीति का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। ठेकेदार न केवल बिना रेट लिस्ट लगाए शराब बेच रहे हैं, बल्कि प्रिंट रेट से 10 रुपए से लेकर 30 रुपए अधिक वसूल कर उपभोक्ताओं से मनमानी वसूली भी कर रहे हैं।

ग्राहकों और सेल्समैन के बीच आए दिन विवाद की स्थिति बन रही है, लेकिन आबकारी विभाग केवल औपचारिकता निभाने तक सीमित है। विभाग की निष्क्रियता और अधिकारियों की मिलीभगत के चलते यह अवैध खेल दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।

ग्रामीणों का विरोध, ठेकेदार की ताकत के आगे फीका

शराब के बढ़े हुए दाम और रेट लिस्ट के अभाव को लेकर ग्रामीणों ने कई बार विरोध भी दर्ज कराया, लेकिन पैसे और रसूख के आगे इनकी आवाजें दबा दी जाती हैं। मऊगंज, नईगढ़ी, शाहपुर, खटखरी और हनुमना जैसे इलाकों में खुलेआम शराब की ओवररेटिंग हो रही है, और यह सबकुछ जिम्मेदारों की मौन स्वीकृति से संभव हो रहा है।

अवैध पैकारी का बोलबाला, गांव-गांव बिक रही शराब

लाइसेंसी ठेकेदारों के कार्यकर्ता ग्रामीण अंचलों में धड़ल्ले से अवैध शराब की पैकारी कर रहे हैं। नईगढ़ी मुख्य बाजार हो या फिर गांव की गलियां, हर ओर शराब की अवैध बिक्री का जाल फैला हुआ है। ठेकेदारों द्वारा बनाई गई इन पैकारियों को आबकारी अमले और स्थानीय प्रशासन का संरक्षण प्राप्त है।

सूत्रों की मानें तो यह सब कुछ “फिक्स सिस्टम” के तहत हो रहा है — जिससे न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान हो रहा है, बल्कि क्षेत्र में अराजकता और अपराध भी बढ़ रहे हैं।


मुख्य मार्ग बना शराब अड्डा, आए दिन होता है जाम और हादसे

नईगढ़ी बाजार में शराब दुकान के पास शाम ढलते ही शराबियों की भीड़ लग जाती है। सड़क के दोनों ओर वाहन खड़े हो जाते हैं, जिससे जाम की स्थिति बनती है। कई बार हादसे भी हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन का रवैया पूरी तरह उदासीन बना हुआ है।

समाजसेवियों ने कई बार विरोध प्रदर्शन किए, लेकिन नतीजा शून्य। शराब ठेकेदारों का स्थानीय स्तर पर इतना प्रभाव है कि कोई भी अधिकारी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं करता।


कोरमपूर्ति तक सीमित जिम्मेदार, शराब माफिया की बढ़ रही जड़ें

ग्रामीणों के मुताबिक शराब की अवैध बिक्री और पैकारी को ठेकेदार खुद संचालित कर रहे हैं। आबकारी विभाग और पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत से यह कारोबार फल-फूल रहा है।
शिकायतों के बाद भी केवल कोरम पूरा करने के लिए हल्की-फुल्की कार्रवाई की जाती है, ताकि दिखाया जा सके कि विभाग सजग है।

दरअसल, कार्रवाई ठेकेदार की मर्जी से होती है और अधिक विरोध करने वालों को झूठे केस में फंसाने की धमकी दी जाती है। यही वजह है कि ग्रामीण अब आवाज उठाने से भी डरने लगे हैं।

सरकार की नीति को पलीता, लेकिन जिम्मेदार बेखबर

शराब दुकान में प्रिंट रेट से अधिक वसूली, रेट लिस्ट का अभाव और अवैध पैकारी — ये तीनों ही बातें आबकारी नीति का सीधा उल्लंघन हैं। बावजूद इसके जिले में इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।

अब सवाल ये उठता है कि जब नियम साफ हैं, तो फिर जिले के अधिकारी आंखें क्यों मूंदे हुए हैं?

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