सरपंच- सचिव की सांठगांठ, पंचायतों में घोटाले की होड़ जनकल्याणकारी योजनाओं के नाम पर हुई अवैध वसूली

By mnnews24x7.com Wed, Jun 3rd 2020 मिसिरगवां समाचार     

*सरपंच- सचिव की सांठगांठ, पंचायतों में घोटाले की होड़*
*जनकल्याणकारी योजनाओं के नाम पर हुई अवैध वसूली*

ग्रामीण हलचल, रीवा। मध्य प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था के नाम पर पात्र हितग्राहियों के साथ सरासर अन्याय का सिलसिला बदस्तूर जारी है। राज्य और केंद्र सरकार की तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं की आड़ लेकर रीवा जिले में सरपंच और सचिव के बीच मजबूत सांठगांठ पंचायतों में नित नये नये घोटाले की वजह बन रहा है। मध्य प्रदेश शासन ने सभी ग्राम पंचायतों के लिए अभी हाल ही में मनरेगा के तहत 5-6 लाख रुपए का बजट आवंटित किया है। जिसका मुख्य उद्देश्य महामारी के कारण लाक डाउन होने से काम-धाम बंद होने की वजह से परेशान गांव वालों को रोजगार उपलब्ध कराया जाए। सभी पंचायतों के खातों में शासन से बजट आते ही जिले भर में संचालित आठ सौ से अधिक ग्राम पंचायतों में में मनरेगा के तहत जरुरतमंद लोगों को लाभ दिलाने का टारगेट जरुर शासन ने तय किया है पर कलाबाजी में माहिर सरपंचों और सचिवों की सुनियोजित सांठगांठ के कारण अधिकांश पंचायतों में जाब कार्ड को फर्जी तरीके से भरने का अभियान तेज कर दिया गया है। पहले भी अधिकांश ग्राम पंचायतों में इस पैटर्न पर मनरेगा के बजट को ठिकाने लगाया जाता था। कुल मिलाकर मनरेगा के नाम पर आने वाला बजट भी समाप्त हो जाएगा और ग्राम पंचायतों में अधिकांश गरीबों और मजदूरों को कोई काम भी नहीं दिया जाएगा। सरपंचों और सचिवों ने सरकारी पैसा हड़पने के लिए अपने नात रिश्तेदारों के नाम पर बहुसंख्य फर्जी जाब कार्ड पहले ही बनवा लिए थे, अब उसी के सहारे रीवा जिले की 75% से अधिक ग्राम पंचायतों में मनरेगा के बजट को निपटाने की रणनीति बना ली गई है।

*जहां तालमेल नहीं, वहां विकास ठप्प,रोज नये विवाद*
जानकारों की मानें तो सतना जिले में ऐसी भी ग्राम पंचायतें मौजूद हैं जहां पर सरपंच और सचिव के बीच आपसी संबंध विवादों तक सीमित रहते हैं। जिन ग्राम पंचायतों में सचिव और सरपंच के मध्य आपसी तालमेल नहीं होता है वहां का समुचित विकास ठप्प हो जाता है। राज्य और केंद्र सरकार के माध्यम से संचालित होने वाली जनकल्याणकारी योजनाओं में पीएम आवास योजना, घर घर शौचालय निर्माण योजना, बुजुर्गों की पेंशन योजना, मनरेगा, संबल योजना सहित अन्य योजनाओं का काम तब सबसे अधिक प्रभावित होता है जब सरपंच और सचिव विरोधी खेमे से रहें। ऐसी पंचायतों में आए दिन सरपंच और सचिव के बीच किसी न किसी बात को लेकर विवाद सामने आता रहता है।

*शहर से लगी पंचायतों की हालत सबसे अधिक खराब*
शहर मुख्यालय रीवा से लगी ग्राम पंचायतों तक में हालात कदापि नियंत्रण में नहीं है। सरपंचों और सचिवों को जिला प्रशासन का कोई भय नहीं रहता है, इसलिए सरकारी योजनाओं की आड़ में सुनियोजित मनमानी को अंजाम दिया जाता है। शहर से लगी ग्राम पंचायत सहित अन्य ग्राम पंचायतों में सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक की तिकड़ी राज्य और केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की आड़ लेकर अपनों को फायदा दिलाने तक सीमित रहती है। इन पंचायतों में चेहरों को देखकर ही योजनाओं का लाभ दिलाया जाता है।‌ शहर मुख्यालय से लगी इन पंचायतों में सरकारी खाद्यान्न को लेकर भी पात्र राशनकार्ड वालों का हक हड़पने का काम निरंतर किया जाता है। कोरोना महामारी के कारण जिले भर की ग्राम पंचायतों में संचालित सरकारी खाद्यान्न वितरण की दुकानों में राज्य शासन ने राशन कार्ड वालों को तीन तीन महीने का खाद्यान्न एक साथ वितरित करने के लिए भरपूर आवंटन जारी किया गया है। अधिकांश राशन दुकानों में सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक के साथ मिलकर सेल्समैन खाद्यान्न घोटाले को अंजाम दिया जाता है। जिले में गिनती की ऐसी राशन दुकानें हैं जहां पर पूरी ईमानदारी के साथ हितग्राहियों के बीच खाद्यान्न का उचित वितरण किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महामारी को देखते हुए राशन दुकानों से उन सभी लोगों को पांच पांच किलो खाद्यान्न वितरण करने के लिए आदेशित किया गया था जिनके पास कोई भी राशनकार्ड नहीं है।‌ राशन दुकानों में इसके लिए अतिरिक्त खाद्यान्न का आवंटन किया गया था, इस पर सबसे बड़ा घोटाला अधिकांश पंचायतों में सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक और सेल्समैन ने संयुक्त रूप से किया है।

Similar Post You May Like

ताज़ा खबर