मुख्यमंत्री को मच्छर काटने पर निलंबन तो 54 मौतों की लापरवाही पर मंत्री पर कार्यवाही क्यों नहीं: कमलेश्वर पटेल

By mnnews24x7.com Tue, Mar 2nd 2021 मिसिरगवां समाचार     

बाणसागर नहर बस दुर्घटना पर कल विधान सभा में आये स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए विधायक एवं पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि बस दुर्घटना में 54 लोगों की जानें सरकार की लापरवाही एवं अदूरदर्शिता की वजह से चली गईं। सरकार से मांग की है कि घटना में दोषी अधिकारियों के विरुद्ध गैर इरादतन हत्या का प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही हो। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री को मच्छर के काटने पर सुबह उपयंत्री को तत्काल निलंबित किया गया साथ ही कार्यपालन यंत्री की दो वेतन वृद्धि भी रोकने की कार्यवाही की गई लेकिन असंवेदनशील सरकार ने 54 व्यक्तियों की मौत पर अभी तक किसी के विरुद्ध कार्यवाही नहीं की है।
भावी प्रतियोगी परीक्षाओं का परीक्षा केंद्र जिला मुख्यालय बनाया जाए
श्री पटेल ने कहा कि स्टाफ नर्स की ऑन लाईन की परीक्षा व्यापम द्वारा आयोजित की गई थी। रीवा संभाग का परीक्षा केंद्र सतना बनाया गया यदि संभाग का केंद्र सतना नहीं होता तो शायद इतने लोग एक साथ बस पर सवार नहीं होते। साथ ही छुहिया घाटी जो शहडोल और रीवा,सीधी से रीवा एवं सतना को जोड़ने वाला मार्ग है। यहां 6 दिन से लगातार जाम लग रहा था, जिला प्रशासन द्वारा जाम हटाने के लिए किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई। जैसे ही घटना घटी उसी दिन राष्ट्रीय राजमार्ग भी खोला गया साथ ही वहां मरम्मत का कार्य भी शुरू हो गया ।श्री पटेल ने कहा कि सिहावल विधानसभा क्षेत्र के परीक्षार्थी उसमें सवार थे, 13 यात्री सिंगरौली जिले के थे शेष अन्य सीधी जिले के थे।विधायक ने कहा कि घटना के लिये सरकार जिम्मेदार है। उन्होने कहा कि सिहावल विधानसभा क्षेत्र की जनपद सदस्य श्रीमती सुशीला प्रजापति पढ़ी-लिखी महिला थी। वो नौकरी करना चाह रही थीं उनके पति भी उनके साथ में परीक्षा दिलाने के लिए बस में सवार थे। उन दोनों की मृत्यु हो गई। इसी प्रकार एक ही प्रजापति परिवार एवं विश्वकर्मा परिवार एवं आदिवासी परिवार यादव परिवार के लोगों की दुखद मौत हुई कुसमी विकासखंड के एक ही परिवार के चार सदस्यों के शव घर से उठे जो अत्यंत ह्रदय विदारक घटना है। सरकार द्वार ₹5 लाख मृतकों को और ₹2 लाख पीएम रिलीफ फंड से देने का प्रावधान नाकाफी है। श्री पटेल ने आगे कहा कि कई लोगों का अमूल्य जीवन नष्ट हुआ है। मृतकों के परिजनों को मुख्यमंत्री ने सीधी जिला मुख्यालय पर बुलाकर उनके उन्हें आर्थिक सहायता राशि दी। सरकार उनके घर में जाकर उन्हें सहायता दे सकती थी। यह घोर असंवेदनशीलता है। यदि स्टाफ नर्स परीक्षा का केंद्र जिला मुख्यालय होता तो यह घटना नहीं होती । श्री पटेल ने कहा कि गरीब जरूरतमंद परिवार के युवा अपने भविष्य को संवारने के लिए इस परीक्षा में शामिल होने के लिए गए थे। प्रदेश में जो बेरोजगारी का आलम है और व्यापम जो परीक्षा आयोजित कर रहा है सैकड़ों हजारों रुपए परीक्षार्थी प्रत्येक परीक्षार्थी से फीस लेकर कमाई करने में लगे हैं।श्री पटेल ने कहा कि संबंधित विभागों के दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही हो तथा मुख्यमंत्री को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए


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