*बृजेश सिंह के वेतन के भुगतान के लिए उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी प्रयत्नशील*

By mnnews24x7.com Sat, Apr 10th 2021 मिसिरगवां समाचार     

*बृजेश सिंह के वेतन के भुगतान के लिए उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी प्रयत्नशील*
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव डॉ बृजेश सिंह की पदस्थापना भले ही उच्च शिक्षा विभाग द्वारा शासकीय पदमधर सिंह महाविद्यालय सतना कर दिया गया हो परंतु उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी यह मानने को तैयार नहीं है कि उन्हें 6 फरवरी को 1 वर्ष की प्रतिनियुक्ति के बाद कार्यमुक्त किया जाना विधि सम्मत था।
इस संबंध में पता चला है कि डॉक्टर बृजेश सिंह की पदस्थापना का 1 वर्ष पूरा होने पर उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जो आदेश 2 माह बाद जारी किया गया है उसमें 5 अप्रैल को कुलपति एवं कुलसचिव अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय को उन्हें कार्यमुक्त करने का निर्देश दिया गया है।
इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उच्च शिक्षा विभाग को यह सूचित किया गया है कि 1 वर्ष का डेपुटेशन समाप्त होने के बाद डॉक्टर बृजेश सिंह को 6मार्च को ही कार्य मुक्त कर दिया गया था। क्योंकि तत्समय उच्च शिक्षा विभाग द्वारा उनकी कार्य अवधि में वृद्धि के आदेश जारी नहीं किए गए थे। अतः कुलसचिव के रूप में उनसे कार्य लिया जाना विधिक रुप से अवैधानिक होता । विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कार्यमुक्ति आदेश के पृष्ठांकन में मॉडल साइंस कॉलेज रीवा प्राचार्य को सूचना जारी की गई थी।
बृजेश सिंह द्वारा कार्यमुक्ति आदेश का पालन न किया जाकर प्रतिनियुक्ति में वृद्धि का प्रयास किया जाता रहा।। पता चला है कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कुलसचिव लाल साहब सिंह से यह स्पष्टीकरण मांगा गया है कि जब शासन ने डॉक्टर बृजेश सिंह को कार्यमुक्त नहीं किया तो विश्वविद्यालय द्वारा उनके कार्य मुक्ति आदेश को कैसे जारी कर दिया गया।
यहां यह उल्लेखनीय है कि डॉक्टर बृजेश सिंह की मदद कर रहे उच्च शिक्षा विभाग में पदस्थ विशेष विशेष कर्तव्य अधिकारियों द्वारा लगातार संरक्षण प्रदान किया जा रहा है।
यदि विश्वविद्यालय द्वारा 2 माह के वेतन का भुगतान डॉ ब्रजेशह सिंह को किया गया तो वह अवैधानिक होगा तथा उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल की जाएगी ताकि शासकीय धन का दुरुपयोग रोका जा सके।
यह भी ज्ञात हुआ है कि पिछली बार जब डॉक्टर बृजेश सिंह का निलंबन किया गया था तो निलंबन अवधि का वेतन का भुगतान भी अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से ही कराया गया था जो निश्चित रूप से शासकीय धन के दुरुपयोग का मामला है।

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