मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य में पहले ही बचाव के उपाय कर लिए गए, जिसके कारण यहां हालत नहीं बिगड़ी केंद्र सरकार से राज्यों को विशेष आर्थिक पैकेज मिलना चाहिए।

By mnnews24x7.com Sat, May 2nd 2020 मिसिरगवां समाचार     

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने
कहा कि राज्य में पहले ही बचाव के उपाय
कर लिए गए, जिसके कारण यहां हालत नहीं
बिगड़ी। मुख्यमंत्री
बघेल ने कहा, लॉकडाउन खोलने या न
खोलने का अधिकार राज्यों को देना चाहिए।
लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां
पूरी तरह से ठप्प हो गई हैं। व्यापार-उद्योग
को नए सिरे से खड़ा करने के लिए केंद्र
सरकार से राज्यों को विशेष आर्थिक पैकेज
मिलना चाहिए। बातचीत के अंश :
कोरोना संक्रमण रोकने वाले राज्यों
में छत्तीसगढ़ की खास गिनती हो रही
है और इसे सराहा जा रहा है। संक्रमण
फैलने से रोकने की रणनीति क्या रही?
हमने बचाव के साथ सुरक्षा नियम का
पालन किया। देश में लॉकडाउन लागू होने
से पहले 19 मार्च को ही हमने धारा 144
लागू कर सार्वजानिक स्थानों पर भीड़ न बढ़ने
के साथ राज्य की सीमाएं सील कर दी थीं।
स्कूल-कालेज बंद भी कर दिए थे। सोशल
डिस्टेंसिंग के साथ फिजिकल डिस्टेंसिंग पर
जोर दिया। लोगों ने सरकार की बात को समझा।
छत्तीसगढ़ में गांवों तक संक्रमण का प्रभाव
नहीं पहुंचा। यह कैसे संभव हुआ?
यह बीमारी विदेश से आई। विदेश यात्रा से लौटने
वालों को हमने होम क्वारेंटाइन किया। उन पर लगातार
नजर रखी। उल्लंघन करने वाले के खिलाफ कार्रवाई
की। इस कारण यह सिर्फ शहरों तक सीमित रहा।
ग्रामीणों ने लॉकडाउन का सख्ती से पालन किया।
इसमें केंद्र सरकार का सहयोग मिला?
केंद्र सरकार ने टेस्टिंग किट्स और दूसरे साधन
मुहैया कराए। बाद में राज्यों को खरीदी के अधिकार
दिए। संसाधन और टेस्टिंग सुविधा सीमित है। इस
कारण हमने बचाव के उपाय को ही प्राथमिकता दी।
क्या छत्तीसगढ़ में जांच कम हो रही है?
दिल्ली, महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों की तुलना में
जांच कम हो रही है। भारत सरकार की गाइडलाइन
के आधार पर विदेश से आने वालों या बुखार वाले
मरीजों की ही जांच की गई। हमने हाथ धोने के प्रति
जागरूकता और फिजिकल डिस्टेंस पर जोर दिया।
लॉकडाउन का राज्य की अर्थव्यवस्था पर
किस तरह का प्रभाव देखते हैं?
उद्योग-धंधे चौपट हो गए हैं। रजिस्ट्री से लेकर
परिवहन और माइनिंग समेत दूसरे सारे काम रुक गए
हैं। इससे राज्य का राजस्व बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
राज्य की आर्थिक हालत सुधारने के लिए
केंद्र सरकार से अब तक कोई मदद मिली?
नेशनल डिजास्टर फंड का हिस्सा मिलना था, पर
नहीं मिला। जीएसटी के 2,000 करोड़ रुपये में से हमें
अपने हिस्से के 1,500 करोड़ मिले हैं।
लॉकडाउन से हुई हानि से निपटने के लिए
छत्तीसगढ़ ने केंद्र से आर्थिक पैकेज मांगा है?
छत्तीसगढ़ ने केंद्र सरकार से 30 हजार करोड़
रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज की मांग की है। इसके
लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया है। 10 हजार
करोड़ रुपए तो राज्य के उद्योगों को फिर से चलाने के
लिए चाहिए। राज्यों के पास आय का कोई स्रोत नहीं
है। राजस्व कहां से आएगा? आर्थिक पैकेज न मिलने
से कर्मचारियों को वेतन देना भी मुश्किल हो जाएगा।
आर्थिक पैकेज की मांग कांग्रेसशासित राज्य
कर रहे हैं। भाजपाशासित या दूसरे मुख्यमंत्री
नहीं?
उनकी मौन सहमति है। किसी ने आर्थिक पैकेज
का विरोध नहीं किया है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने आर्थिक गतिविधियों
को लेकर छत्तीसगढ़ की तारीफ की है। इसे आप
किस रूप में देखते हैं?
किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी
तो उद्योग और व्यापार चलेंगे। इस कारण से
रिजर्व बैंक ने छत्तीसगढ़ की तारीफ की है।
पिछले साल सरकार ने किसानों का धान
2,500 रुपये क्विंटल की दर से खरीदा था।
इस साल भी 83 लाख मीट्रिक टन धान की
खरीद समर्थन मूल्य पर की जा रही है और
बोनस के तौर पर अंतर की राशि राजीव
किसान न्याय योजना के तहत जल्द किसानों
को दी जाएगी।
आपने केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता
मामले के मंत्री रामविलास पासवान को
पत्र लिखा है। इसकी कोई खास वजह?
भारत सरकार को हम चावल देते हैं।
राज्य ने भारत सरकार से केंद्रीय पूल में 31
लाख मीट्रिक टन चावल लेने का आग्रह
किया था। लेकिन अभी सिर्फ 24 लाख
मीट्रिक टन की ही सहमति दी गई है। राज्य
के सार्वजनिक वितरण प्रणाली में चावल
बांटने के बाद भी राज्य के पास 10 लाख
मीट्रिक टन धान बच जाएगा। यही वजह है
कि वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए राज्य ने
केंद्र से अतिरिक्त चावल लेने के लिए केंद्रीय
मंत्री को पत्र लिखा है।
छत्तीसगढ़ सरकार कोटा में पढ़ने वाले
बच्चों को वापस लाए। क्या दूसरे राज्यों में फंसे
मजदूरों को भी लाने के लिए कोई कदम उठाए
जा रहे हैं?
कोटा में बच्चे एक ही जगह पर थे, इसलिए उन्हें
लाना संभव हुआ। कई और शहरों में भी पढ़ने वाले
कुछ और बच्चेफंसे हुए हैं, ऐसी ही स्थिति मजदूरों
के मामलों में भी है। कुछ मजदूर जम्मू-कश्मीर में
फंसे हैं, तो कुछ किसी और राज्य में। दो-चार बच्चों
या मजदूरों के लिए बसें भेजना संभव नहीं है। पर उन्हें
अपने गृह राज्य में आने की अनुमति मिलनी चाहिए।
फंसे बच्चों और मजदूरों को वापस लाने के लिए ट्रेन
चलाने के लिए मैंने केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखा है
और उनसे आग्रह भी किया है।
तीन मई के बाद आप लॉकडाउन खोलनेके
पक्ष में हैं या बढ़ाने के?
लॉकडाउन राज्यों के ऊपर छोड़ देना चाहिए।
जैसे छत्तीसगढ़ के पडोसी राज्य महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश
और आंध्र प्रदेश में कोरोना संक्रमित केस आ रहे
हैं, ऐसे में राज्यों की सीमा खोलने से वहां भी खतरा
बढ़ जाएगा।
“केंद्र आर्थिक पैकेज दे”

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